रामदेवरा , 12 सितम्बर। रामदेवरा भादवा शुक्ल दशमी को बाबा रामदेव जी के समाधी के दर्शनार्थ भक्त श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। 632 वें भादवा मेला में सोमवार को सायं तक 3 लाख लोग बाबा की समाधी के दर्शन कर चुके। प्रातःकाल से बाबा के मुख्य द्वार से आगे बहुत ही लम्बी कतारे लगी हुई थी। जातरुओं से खचाखच भरा मंदिर परिसर एक ओर मेला सा नजर आ रहा था।
बाबा समाधी के दर्शन पश्चात दर्शनार्थियों ने ं डालीबाई की समाधी स्थल के भी दर्शन किए। डालीबाई के मंदिर में भक्तजनों की लम्बी कतारे लगी हुई थी। श्रृद्धालुओं ने डालीबाई के कंगन में से दण्डवत करते हुए निकास किया। केई जातरुओं ने बताया कि कंगन के अंदर से निकलने के पीछे आस्था हैं कि वह पूरे वर्ष स्वस्थ रहते है।
बाबा की अनन्य भक्त डालीबाई
उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव जी की अनन्य भक्त डालीबाई जंगल में एक डाल में मिली थी।,बाबा ने उनको अपने घर लाकर पाला’- पोसा था। इस प्रकार जब बाबा रामदेव जी के समाधी लेने की तैयारी हो रही थी तो डालीबाई को एक पथिक से जंगल में बछड़े चराते हुए यह जानकारी मिली , बछड़ों को रामदेव जी सौंगध दिला कर डालीबाई दोड़ते-भागते रामदेवरा पहुंची। डालीबाई ने बाबा रामदेव जी से कहा कि यहां तो मैं समाधी लूंगी , एकत्रित जन समूह के कुतूहल से रामदेव जी के पूछे जाने पर डालीबाई ने बताया कि समाधी स्थल खोदने पर उसमें आटी , डोरा व कांगसी मिले तो वह समाधी मेरी होगी। वस्तुतः डालीबाई ने जो बताया वह सत्य हुआ। बाबा, डालीबाई की इस चमत्कारिता से इससे अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें समाधी लेने की आज्ञा प्रदान की। डालीबाई ने भादवासुदी दशमी संवत् 1442 को समाधी ले ली। आज लोगों की ऐसी मान्यता है कि बाबा की समाधी के दर्शन के साथ डालीबाई के दर्शन करना भी जरुरी है। अन्यथा यात्रा अधूरी मानी जाएगी। डालीबाई समाधी के स्थान पर एक मंदिर बना हुआ है
रामदेवरा - दशमी को बाबा के भक्तों में अति उत्साह
रामदेवरा में आज कई पैदलयात्री संधों की विशाल ध्वजाए ,बाबा के प्रतीक घोड़ा अन्य यात्रियों ने बाबा रामसापीर के दर्शन करने से पूर्व उत्सव सा महोल बनाया। नोखा से ’’ बाबो सा रा लाडला ’’ 1100 श्रृद्धालुओं का एक पैदलयात्री संघ आया। एक ही गुलाबी वेशभूषा में नाचते-गाते झूमते बाबा के जयकारे लगाते मुख्य प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही एक उत्सव सा महोल बनाया। ऐसे भक्त जिन्होंने बाबा के मंदिर में हर्षोल्लासमय सा वातावरण कर दिया। उल्लेखनीय है कि विभिन्न स्थानों में बाबा के मंदिर आने वाले संघ जातरुओं में यह सबसे बड़ा संघ है। इसी प्रकार आज बाबा रामदेव समिति नोखा के 600 पैदलयात्री संघ , बाबा रामसपीर सेवा समिति पाल रोड़ जोधपुर से 3000 पैदलयात्री संघ बाबा रामदेव के मंदिर में पहुंच कर ध्वजा चढ़ाई व समाधी के बड़े ही आस्था के दर्शन किए।
नेत्रहीन छात्रों ने भी किए बाबा के दर्शन
जोधपुर के कमला नेहरु नगर नैत्रहीन संस्थान के 15 नेत्रहीन छात्रों का एक दल भी बाबा के मंदिर में पहुंच बड़े ही मनोभाव के साथ दर्शन किये। इसी प्रकार कंाकड़ा बीकानेर से एक पोत्र 55 वर्षीय हरिराम ने परिवार सहित अपनी विकलांग दादी को सहारा देकर बाबा के दरबार दर्शन करने लाया। एक श्रृद्धालू भक्त दंडवत करते हुए उसकी पत्नी एवं बच्चे के साथ मंदिर पहुंच कर बाबा के दर्शन किए।
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