एसीबी ने माना भ्रष्टाचार हुआ, दर्ज करवाई एफ आईआर
पीएचडी विभाग पर जूं तक नहीं रेंगी, संलिप्त कार्मिकों को कर दिया मुक्त
जैसलमेर, 16 सितम्बर । जैसलमेर में भ्रष्टाचार निरोधक विभाग भ्रष्टाचार पर शिकंजा करने की कोशिश में लगा है तो, राज्य सरकार उस शिकंजे को ढीला करने में लगी है । ऐसा ही एक भ्रष्टाचार का मामला पीएचईडी विभाग जैसलमेर का है जिस पर ताज्जुब किया जा सकता है । भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जैसलमेर के भ्रष्टाचार के मामले में प्रारंभिक जांच की गई । जिसमें प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार का अपराध होना पाया गया, जिस आधार पर उप अधीक्षक पुलिस, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जैसलमेर ने प्राथमिकी दर्ज करवाई ।
भ्रष्टाचार विभाग में पंजीबद्ध प्राथमिक जांच संख्या 10/07 की तथ्यात्मक स्थिति अनुसार प्रथम दृष्टया अपराध प्रमाणित पाए जाने पर 12 जुलाई 2012 को ज्ञात/अज्ञात, कुल 12 जनों के विरूद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई जिसकी सूचना प्रमुख शासन सचिव, कार्मिक विभाग, शासन सचिवालय जयपुर, सचिव जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जयपुर, मुख्य अभियंता प्रशासन एवं तकनीक सदस्य, आरडब्ल्यूएसएसएमबी जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जयपुर को भी भेजी गई । लेकिन, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग पर फिर भी जूं तक नहीं रेंगी । विभाग ने इस मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की । कोई विभागीय कार्रवाई नहीं और न ही विभाग की ऑडिट में यह आक्षेप प्रकाशित किया गया । यानि कि विभागीय और महालेखाकार की ऑडिट में भी यह नियम विरूद्ध खरीद को गलत नहीं बताया गया । यह सब विभाग की गैर जिम्मेदारी के कारण भ्रष्टाचार को बल देने की कोषिष है । राज्य सरकार भ्रष्टाचार को बढावा देते हुए, भ्रष्टाचार में संलिप्त कार्मिकों को सेवा मुक्त कर उन्हें पेंशन परिलाभ आदि देती रही है ।
ताज्जुब होता है सरकारी कामकाज के तरीकों पर जो कि भ्रष्टाचार से छींटों से भरे पड़े हैं । जैसलमेर का ही नहीं वरन् पूरे देश का यही हाल है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र में तो भ्रष्टाचार पर लगाम कसनी शुरू की है लेकिन राजस्थान में अभी भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है जबकि यहां भी भाजपा की सरकार है । इसलिए सवाल लीडरशिप पर उठते हैं । राज्य की मुख्यमंत्री पर उठते हैं जो कि सरकार चला रही है । सरकार चलाने का प्रबन्ध सीएम वसुन्धरा राजे का है ।
यह है मामला
रूपाराम धणदे तत्कालीन अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर व 11 अन्य द्वारा आपूर्ति फर्मों से मिलीभगत कर एल एण्ड टी के कलपुर्जों की खरीद कर ली । वर्ष 2003 से 2005 तक की अवधि में विभिन्न क्रयादेशों के द्वारा लाखों रूपये की खरीददारी नियम विरूद्ध की गई । आरोपों पर प्राथमिक जांच संख्या 10/07 पंजीबद्ध हुई । प्राथिमक जांच के दौरान उपलब्ध रिकॉर्ड, गवाहों के बयानों से तथ्यात्मक रिपोर्ट में अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान के आदेश चाहे गए । पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर के पत्र संख्या 1754-60 तारीख 13 जुलाई 2012 अनुसार कार्यवाही पुलिस में एफ आईआर में अंकित कुल 12 के विरूद्ध गठित होना पाया गया । एतदर्थ अपराध संखा 271/2012 दर्ज की गई ।
विभागीय कार्रवाई नहीं
भ्रष्टाचार जैसे संगीन मामले में जनस्वास्थ्य अभियंात्रिकी विभाग गैर जिम्मेदार बना रहा । भ्रष्टाचार विभाग द्वारा एफ आईआर दर्ज करने की सूचना विभाग को देने के बाद भी विभाग की ओर से भ्रष्टाचार में सलिप्त कार्मिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की । विभागीय कार्रवाई नहीं होने से उन्हें पदौन्नति और सेवानिवृति के लाभ मिलने रहे हैं ।
इनके विरूद्ध दर्ज हुई एफ आईआर
भ्रष्टचार विभाग जयपुर में दर्ज अपराध संख्या 271/2012 में जिन लोगों व फ र्मों के विरूद्ध अपराध गठित होना पाया गया हैं उनमें, रूपाराम धणदै तत्कालीन अधीक्षण अभियंता , रविन्द्रपालसिंह तत्कालीन कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता, भंवरलाल जाटोल तत्कालीन अधिशाषी अभियंता, ओमप्रकाश तत्कालीन तकनीकी सहायक कार्यालय, श्रीवल्लभ औझा तत्कालीन क्रय लिपिक, मनोज झमेरिया तत्कालीन क्रय लिपिक जैसलमेर, कश्मीरीलाल गेरा प्रोपराईटर मैसर्स कश्मीरीलाल कॉन्टेक्टर श्रीगंगानगर, राजकुमार पुत्र कश्मीरीलाल गेरा प्रोपराईटर मैसर्स लक्ष्मी इण्टरप्राईजेज श्रीगंगानगर, नरेश पुत्र कश्मीरीलाल गेरा प्रोपराईटर मैसर्स कृष्णा इण्डस्ट्रीज श्रीगंगानगर, अनिल रूपचन्द भण्डारी प्रोपराईटर मैसर्स भण्डारी इण्टरप्राईजेज जोधुपर और प्रोपराईटर मैसर्स मुक्ति ट्रेडर्स जोधपुर ।
पदौन्नति पा ली, हो गए सेवामुक्त और पा ली पेंशन
भ्रष्टाचार में संलिप्त कार्मिकों को राज्य सरकार की मेहरबानी से सेवा में पदौन्नति मिलती गई और फिर सेवा से भी मुक्ति मिल गई है । अब उन्होंने पेंशन परिलाभ इतयादि लेकर अब यह समझ लिया है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती । इनमें से एक रूपाराम धणदै ने तो मुख्य अभियंता परियोजना के पद से सेवानिवृति लेकर अब राजनीति में सक्रिय है । वर्तमान में रूपाराम धणदै प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव है और वे जैसलमेर विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर एक बार एमएलए का चुनाव हार चुके हैं । इसके अलावा एक और कार्मिक श्रीवल्लभ औझा तत्कालीन क्रय लिपिक ने भी पदौन्नति पाई और अभी हाल में कार्यालय सहायक पद से सेवामुक्त होकर पेंषन परिलाभ ले रहे हैं ।
जिला अधिकारी बने अनजान
पीएचईडी के जिला अधिकारियों से भ्रष्टाचार के इस मामले में हुई एफ आईआर और उसमें संलिप्त कार्मिकों की सेवानिवृति के संबंध में जानकारी चाही तो वे ऐसी किसी एफ आईआर से अनजान बने रहे ।
भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की मेहनत पर पानी
भ्रष्टाचार निरोधक विभाग द्वारा मेहनत कर भ्रष्टाचार पर षिकंजा कसा जाता है लेकिन राज्य सरकार के विभागों में विभागीय कार्रवाई नहीं होने से और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को सपोर्ट नहीं करने से संदिग्ध दोषी बच निकल जाते हैं । इस प्रकार भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की कार्रवाई पर पानी फिरता नजर आता है ।
भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की भी उदासीनता
इस पूरे मामले में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की उदासीनता भी परिलक्षित होती है । क्यों कि उप अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जैसलमेर द्वारा 13 जुलाई 2012 को अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान के आदेष चाहे गए थे । इस पर पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर द्वारा अपने पत्रांक 1754-60 तारीख 13.7.12 की कार्यवाही पुलिस में मामला दर्ज कर तफतीष जारी रखना बताया । उसके बाद चार साल तक कोई कार्रवाई नहीं होने से संदिग्ध अभियुक्तों को बच निकलने का समय मिल गया और वे सेवा से निवृत्त हो पेंषन परिलाभ ले चुके हैं ।